Aali Foundation's Works

Our Works

For Lovable Girls

बच्चे तो नासमझ होते हैं। उनको अपने भविष्य के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है। बच्चों के सपनों में रंग भरने की जिम्मेदारी हमेशा माता-पिता ही करते हैं परंतु यदि यही माता-पिता रूढ़ियों अंधविश्वासों में जकड़े हो तो बच्चों को भी वही सिखाते हैं। हमारे समाज की सबसे बड़ी विसंगति यही है कि आधे से ज्यादा माता-पिता अपनी स्वयं की संतानों में भी भेद करते हैं लड़कियों को पराया धन समझकर उनका तिरस्कार करते हैं तो वही लड़कों को अपना मोक्षदाता समझते हैं। यह रूढ़िवादी मानसिकता सदियों से चली आ रही है। लड़कियों को पिछड़ने का यह एक प्रमुख कारण है। आज ज्यादातर लड़कियों ने मान लिया है कि लड़के विशेष होते हैं इसलिए उन्हें विशेष अधिकार है। उन्हें पढ़ने-लिखने नौकरी-पेशा करने का अधिकार है और लड़कियों को घर सँभालने का…पढ़ाई-लिखायी …नौकरी…स्वतंत्रता…आत्म सम्मान …आदि की बातें उनके लिए नहीं बनी हैं।…उनको सपने देखने का अधिकार नहीं है। सपने केवल लड़के ही देख सकते हैं। आली फाउंडेशन उन बच्चियों की आँखों में सपने डालने का प्रयास करती है। उनको एहसास कराती है कि स्त्री और पुरुष बराबर है। लड़कियों को भी लड़कों की तरह विशेष अधिकार है। लड़कियां भी लड़कों की तरह विशेष होती है। इसलिए उनको भी विशेषाधिकार है। उनको भी हक है समाज में सिर उठाकर जीने का… अपने सपनों में रंग भरने का… आली फाउंडेशन उनको मैत्रेयी, गार्गी, रानी दुर्गावती, रजिया सुल्तान, रानी लक्ष्मी बाई के साथ-साथ अरूणा आसफ अली, उषा मेहता, कल्पना दत्त, प्रीतिलता, इंदिरा गांधी, कल्पना चावला इत्यादि महिलाओं के बारे में समझा कर उनको भी अपना नाम इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अंकित कराने के लिए उत्साहित करती है।

For Women

पढ़ी-लिखी महिलाएं हो या अनपढ़ जब वो विवाह के बाद अपने ससुराल में जाती हैं तो उनके अब तक के जीवन का परिवेश सहसा बदल-सा जाता है। इस बदले वातावरण में सामंजस्य बिठाने में कभी-कभी स्त्रियां असमर्थ हो जाती है। इसका कारण पति या पति का परिवार हो सकता है या कभी-कभी स्वयं महिलाओं की मानसिक स्थिति भी इसके लिए जिम्मेदार होती है। किसी भी कारण से यदि परिवारिक तालमेल बिगड़ता है तो इसका हमारे समाज पर एक बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही टूटते परिवार के बच्चे भी बिगड़ने लगते हैं।

आली फाउंडेशन उन समस्त महिलाओं की समस्याओं को बहुत ही ध्यान से सुनती है और उन महिलाओं को तथा उनके परिवार को समझाकर एक उचित निदान निकालने का प्रयास करती है। जिससे समाज परिवार और स्वयं महिलाओं को कम से कम क्षति हो

        शादीशुदा महिलाओं से इतर कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जिनके जीवन में ऐसी अनेक परिस्थितियां आती है जिससे उन्हें एकाकी जीवन जीना पड़ता है। यह अकेलापन कभी स्वेच्छा से होता है… तो कभी मजबूरी से… कभी स्त्रियां अविवाहित रह जाती हैं… तो कभी वैवाहिक टूटन के परिणाम स्वरूप अलग होना पड़ता है… या फिर कभी-कभी उनका प्रिय उनको इस धरा पर अकेला छोड़कर ईश्वर के पास चला जाता है… ऐसे में अकेलेपन से जूझ रही महिलाओं के लिए आली फाउंडेशन एक ऐसा वातावरण तैयार करने का प्रयास करती है जिससे वे अपने अंदर की प्रतिभा से अपने जीवन रूपी नदी को खुशियों के नौका के साथ पार कर सके। हम उन महिलाओं को कौशल निर्माण के साथ-साथ खुश रहने के लिए भी उत्साहित करते हैं, जिससे वह अपना जीवन अपनी इच्छा के अनुसार खुशियों से जीते हुए पार करें

 

For Dadi-Nani

जीवन की सुबह का सुहावना मौसम देखने के बाद जीवन में दोपहर की तपती धूप को भी सहना पड़ता है इस तपती धूप को सहने के बाद जब जीवन की संध्या बेला आती है तो उस समय भी प्रत्येक मानव को प्यार और सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार होता है। ऐसे समय में जब जीवन अनुभवों की एक मोटी किताब बन जाती है, तो उनके अनुभवों को सीखने और उन्हें अपने पास प्यार से रखने की जगह बहुत सी संताने अपने माता-पिता को दर-दर की ठोकर खाने के लिए छोड़ देते हैं। आली फाउंडेशन ऐसी दादी-नानी को एक उचित वातावरण में पहुँचने तथा उनकी छोटी-बड़ी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करती है। क्योंकि संस्कारों को सिखाने वाली पीढ़ी को तिरस्कार नहीं प्यार और सम्मान मिलना चाहिए।

 अभी आली फाउंडेशन उन्हें आश्रय नहीं दे पा रही है। परंतु हमारा पूरा प्रयास है कि आने वाले दिनों में हम एक ऐसा आंगन बनाएगे जिसकी हवाओं में दादी और नानी का प्यार इतना घुला-मिला रहेगा कि इस आंगन में प्रवेश करते ही ममतामयी हाथों का स्पर्श से सभी का मन आह्लादित हो जायेगा।